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शिव शंकर के सात पुत्र। 99.9% लोग सिर्फ 2 को ही जानते है।

शिव शंकर के सात पुत्र। 99.9% लोग सिर्फ 2 को ही जानते है।

shiv shankar and jalandhar
shiv shankar and Jalandhar

शिव शंकर के सात पुत्र। 99.9% लोग सिर्फ 2 को ही जानते है।  


शिव या महादेव आरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन शिव धर्म नाम से जाने जाती है में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। पहला पुत्र के बारे में आपको क्या बताएं पहले पुत्र तो कार्तिक है शिवजी और पार्वती जी के और दूसरा पुत्र है. गणेश जी यह तो आपको मालुम होगा. इनके बारे में हम आपको क्या बता सकते हैं इनका जन्म के बारे में आपको पता होगा और इनके पूजा विधि क्या है यह भी आपको पता होगा तो हम सीधा इनके तीसरे पुत्र के बारे में आपको बताते हैं


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सुकेश

पुराणों के अनुसार शिव जी के तीसरे पुत्र सुकेश है. पुराणों के अनुसार सालकटका नामक एक स्त्री थी जो कि वैभवचरिणी थी उसका एक पुत्र हुआ जो की लावारिस घोषित कर दिया गया.लेकिन भगवान शिव ने यह कहते हुए उन्होंने उसे अपनी गोद ले लिया और उन्होंने बोला कि आज से यह शिवजी और पार्वती के पुत्र है. तब से सुकेश को शिवजी और पार्वती के पुत्र कहा जाता है.


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अयप्पा

भगवान शिव के चौथे पुत्र हैं. अय्यप्पा जी की पूजा दक्षिण भारत में की जाती है दक्षिण भारत में उनकी मंदिर है पुराणों के अनुसार शिव जी को मोहनी रूप दिखाया गया यानी कि विष्णु जी के रूप है जो स्त्री का रूप है. उसे जब शिव जी को दिखाया गया तो शिव जी के पसीना नीचे गिर गया तब अयप्पा जी का जन्म हुआ.
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जालंधर

जालंधर को शिव जी के पुत्र कहा जाता हैं एक बार क्रोध में शिव जी ने अपनी तीसरी आंख खोली और उस तीसरी आंख के निकले तेज को जब उन्होंने समुद्र में फेक दिया तब जालंधर का जन्म हुआ. जालंधर शिव जी से बहुत नफरत करते थे. इस कारण उन्होंने शिवजी से युद्ध किया और अंत में मारा गया.

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भौम

एक बार की बात है जब शिवजी घोर तपस्या में लीन थे तब उनके शरीर से पसीना निकलने लगा इस पसीने के कुछ बोल धरती पर गिरी और धरती पर समाहित हो गई तब उस पसीने से भौम का जन्म हुआ और उसका लालन-पालन धरती माता ही करने लगी इस कारण इसे छोटे पुत्र के रूप में जाना जाता है.

अंधक

एक बार माता पार्वती चुपके से आकर भगवान शिव के दोनों आंखों को बंद कर दिया और उस आंख बंद करने के कारण पूरे संसार में अंधकार चाहिए इस अंधकार को दूर करने के लिए शिवजी ने अपनी तीसरी आंख खुली हुई तीसरी आंख के तेज के कारण माता पार्वती को पसीना आ गया और उस पर पसीने से जन्म हुआ अंधक का.


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