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भगवान राम की निशानियां : आज भी मौजूद हैं यहां |
भगवान राम की निशानियां : आज भी मौजूद हैं यहां
रामायण कालीन 8 स्थान.
हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक है रामायण... इसकी कथा के अनुसार जगत कल्याण के लिए त्रेता युग में भगवान विष्णु, राम और मां लक्ष्मी, सीता के रूप में धरती पर अवतरित हुई थीं। भारतीय संस्कृति व जनमानस के कण कण में बसा यह महाकाव्य इन दिनों कोरोना के बीच एक बार फिर चर्चाओं में बना हुआ है।
दरअसल कोरोना के चलते इन दिनों दूरदर्शन पर रामायण सीरियल शुरु होने के साथ ही लोगों का एक बार फिर इस महाकाव्य की ओर रुझान बढ़ गया है। ऐसे में आज हम आपको रामायण कालीन ऐसे 8 स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में रामायण में जिक्र है और माना जाता है कि यहां राम ने अपने दिन गुजारे थे और यह स्थान अब भी मौजूद हैं…
भगवान राम की निशानियां : आज भी मौजूद हैं यहां
1. अयोध्या :
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अयोध्या |
भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। रामायण काल में अयोध्या कौशल साम्राज्य की राजधानी थी, राम का जन्म रामकोट, अयोध्या के दक्षिण भाग में हुआ था। वर्तमान समय में अयोध्या, उत्तर प्रदेश में है। जो आज प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां आज भी उनके जन्म काल के कई प्रमाण मिलते हैं। यहां राम जन्म भूमि के हजारों भक्त हर रोज भगवान के दर्शन करने आते हैं।
2. जनकपुर,
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जनकपुर |
नेपाल: माता सीता का जन्म स्थान है और यहीं पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। जनकपुर शहर में आज भी उस विवाह मंडप और विवाह स्थल के दर्शन कर सकते हैं, जहां माता सीता और रामजी का विवाह हुआ था। जनकपुर के आस-पास के गांवों के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर आते हैं, जिनसे दुल्हन की मांग भरी जाती है। मान्यता है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है। वर्तमान में यह भारत नेपाल बॉर्डर से करीब 20 किलोमीटर आगे नेपाल के काठमाण्डु के दक्षिण पूर्व में है।
3. प्रयाग :
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प्रयाग |
वह जगह है जहां राम, लक्ष्मण और सीता ने 14 साल के वनवास के लिए जाते हुए पहली बार विश्राम किया था। वर्तमान समय में यह स्थान उत्तर प्रदेश का हिस्सा है। इस स्थान का जिक्र पवित्र पुराणों, रामायण और महाभारत में किया गया है। यहां आज हिंदू धर्म का सबसे बड़ा कुंभ मेला लगता है।
4.चित्रकूट :
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चित्रकूट |
भगवान राम की निशानियां : आज भी मौजूद हैं यहां
रामायण के अनुसार, भगवान राम ने अपने चौदह साल के वनवास में लगभग 11 साल चित्रकूट में ही बिताए थे। ये वही स्थारन है जहां वन के निकल चुके श्रीराम से मिलने भरतजी आये थे। तब उन्होंलने राम को राजा दशरथ के देहांत की सूचना दी थी और उनसे घर लौटने का अनुरोध किया था। चित्रकूट में आज भी भगवान राम और सीता के कई पद चिन्ह मौजूद हैं। वर्तमान में यह जगह आज मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच में स्थित है। यहां आज के समय में भगवान राम के कई मंदिर हैं।
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5. पंचवटी :
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पंचवटी |
भगवान राम की निशानियां : आज भी मौजूद हैं यहां
यहीं पर भगवान राम ने रावण की बहन शूर्पनखा के प्रेम प्रस्ताव को ठुकराया था और लक्ष्म्ण ने उसके नाक कान काटे थे। इस घटना के बाद ही राम और रावण युद्ध की नींव पड़ी थी। ओडिसा, आंध्रप्रदेश और छत्तीासगढ़ के बीच फैले विशाल हरे भरे इस क्षेत्र में आज भी राम के निवास के चिन्ह मिलते हैं और यहां पर आ कर असीम शांति और ईश्वर की उपस्थिति का अहसास होता है।
6. हम्पी :
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हम्पी |
भगवान राम की निशानियां : आज भी मौजूद हैं यहां
वाल्मीकि रामायण में किशकिंदा को वानर राज बाली का तथा उसके पश्चात् सुग्रीव का राज्य बताया गया है। भगवान रामचन्द्र जी ने बालि को मारकर सुग्रीव का अभिषेक लक्ष्मण द्वारा इसी नगरी में करवाया था। किशकिंदा से एक मील पश्चिम में पंपासर नामक ताल है, जिसके तट पर राम और लक्ष्मण कुछ समय के लिए ठहरे थे। वर्तमान में यह कर्नाटक के हम्पी शहर के आस-पास के इलाके में माना गया है। युनेस्को ने इस जगह को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
7. रामेश्वरम :
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रामेश्वरम |
भगवान राम की निशानियां : आज भी मौजूद हैं यहां
रामेश्वरम, वह जगह है जहां से हनुमानजी की सेना ने लंकापति रावण तक पहुंचने के लिए राम सेतु का निर्माण किया गया। इसके अलावा, सीता को लंका से वापसी के लिए भगवान राम ने इसी जगह शिव की अराधना की थी। वर्तमान समय में रामेश्वरम दक्षिण भारत तमिलनाडु में है। रामेश्वर आज देश में एक प्रमुख तीर्थयात्री केंद्र है। इस सेतु को भारत में रामसेतु व दुनिया में एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) के नाम से जाना जाता है। इस पुल की लंबाई लगभग 30 मील (48 किमी) है। यह ढांचा मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रेट को एक दूसरे से अलग करता है।
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8. तालीमन्नार,श्रीलंका:
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तालीमन्नार,श्रीलंका: |
यहां पहुंच कर पहली बार यहां भगवान राम ने अपना खेमा स्थाथपित किया था, तालीमन्नार वही जगह है। एक लंबी लड़ाई के बाद, भगवान राम ने रावण को मार दिया और फिर श्रीलंका के सिंहासन पर रावण के छोटे भाई विभीषण को दे दिया। यहीं पर माता सीता की अग्नि परीक्षा हुई थी। यहीं पर रामेश्वरम से आकर रामसेतु के जुड़ने के चिन्ह भी मिलते हैं। यह स्थान श्रीलंका के मन्नार आइसलैंड पर स्थित है।
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