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Covid-19 Care: -जाने कैसे होता है कोरोना का टेस्ट, यहां समझें पूरा प्रोसेस

Covid-19 Care: -जाने कैसे होता है कोरोना का टेस्ट, यहां समझें पूरा प्रोसेस

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Covid-19 Care: -जाने कैसे होता है कोरोना का टेस्ट, यहां समझें पूरा प्रोसेस


दुनिया में तेजी से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की शंकाएं हैं जैसे कि कोरोना वायरस का टेस्ट कैसे कराना चाहिए और ये किस तरह होता है.


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कोरोना वायरस का संक्रमण कैसे फैलता है?

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कोरोना के बढ़ते खतरे के मद्देनजर अब लोग काफी सावधानी बरत रहे हैं. ऐसे में हम आपको कोरोना से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं. 

1.क्या कोरोना संक्रमित व्यक्ति के पास आने से बीमारी लग सकती है? :-

अगर आप किसी ग्रॉसरी स्टोर में जाते हैं जिसके मालिक को कोरोना का संक्रमण हो चुका है. इस स्थिति में आपको भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना का संक्रमण उसके द्वारा दिए गए पैसे रखने या आपके द्वारा दिए गए कार्ड को स्वैप करने के बाद लौटाने की वजह से भी हो सकता है. 

2.कैसे फ़ैल सकता है कोरोना? 

 कोरोना के संक्रमण फैलने की चार वजह हो सकती है. आप संक्रमित व्यक्ति के पास कितनी देर रहे? आप उसके कितने पास गए? क्या उस व्यक्ति के छींकने या खांसने की वजह से आपको छींटे पड़े? आपने अपने चेहरे को कितनी बार छुआ? आपके उम्र और स्वास्थ्य की वजह से भी कोरोना के संक्रमण का असर पड़ता है. 

3.छींकने या खांसने से क्या होता है? 


अगर कोरोना से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उस प्रक्रिया में उसके मुंह या नाक से कुछ बूंदें गिरती हैं, इनसे कोरोना का संक्रमण हो सकता है. एक प्रोफेसर ने कहा कि कोरोना का वायरस इन बूंदों की मदद से दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है. 

4.क्या आप कोरोना प्रभावित व्यक्ति की पहचान कर सकते हैं?


 आप कोरोना से संक्रमित व्यक्ति की पहचान कर लें, यह जरूरी नहीं है, कोरोना से संक्रमण के लक्षण आम सर्दी-जुकाम की तरह ही होते हैं. कोविड 19 की पहचान लैब में जांच के बाद ही की जा सकती है. 

5.क्या कोरोना वायरस का संक्रमण टच स्क्रीन या बस स्टॉप पर लगे खंभे से भी फ़ैल सकता है? 

ऐसा हो सकता है. हांग कांग के एक बौद्ध मंदिर में पहुंचे लोगों में एक-दूसरे व्यक्ति को कोरोना का संक्रमण कुछ इसी तरह हुआ है. इस मन्दिर से लिए गए सैंपल के अनुसार बाथरूम के नल और किताब पर ढंके कपड़े में भी कोरोना वायरस के सबूत मिले हैं. 

कोरोना का वायरस कहीं भी पहुंच सकता है, जब तक इसकी राह में कोई बाधा नहीं आये. जब हम छींकते हैं या खांसते हैं तो हमारे मुंह से कुछ बूंदें गिरती हैं. अगर इनकी राह में कुछ नहीं आये तो ये सीधे जमीन पर पहुंच सकती हैं. कोरोना का वायरस आपके शरीर में तभी पहुंच सकता है जब यह आपके आंख, नाक या मुंह में पहुंचे. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के संक्रमण की प्रमुख वजह खांसना या छींकना ही है. किसी व्यक्ति के बहुत करीब जाकर बात करने या साथ खाना खाने से भी कोरोना का वायरस फ़ैल सकता है. 

एक विशेषज्ञ ने कहा, "अगर आप किसी व्यक्ति के इतने करीब हैं कि उनके मुंह से आपको लहसुन या अदरक की खुशबू आ रही है तो किसी संक्रमित व्यक्ति से आपके शरीर में भी कोरोना का वायरस पहुंच सकता है."

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कोरोना वायरस के लिए किया जाने वाला डायग्नोस्टिक टेस्ट क्या है?

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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का कहना है कि पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) का टेस्ट किसी नामी लैब में ही कराया जाता है. ये पीसीआर टेस्ट गले, श्वास नली के लिक्विड और मुंह की लार की सैंपल के स्वैब पर किए जाते हैं. इस तरह के टेस्ट आमतौर पर इन्फ्लूएंजा ए, इन्फ्लूएंजा बी और एच1 एन1 वायरस का पता लगाने के लिए किए जाते हैं.

डॉक्टर्स के मुताबिक, नाक और गले के पिछले हिस्से दो ऐसी जगहें हैं जहां वायरस के मौजूद होने की संभावना ज्यादा होती हैं. स्वैब के जरिए इन्हीं कोशिकाओं को उठाया जाता है. स्वैब को ऐसे सॉल्यूशन में डाला जाता है जिनसे कोशिकाएं रिलीज होती हैं. स्वैब टेस्ट का इस्तेमाल सैंपल में मिले जेनेटिक मैटेरियल को कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड से मिलाने में किया जाता है.

 कोरोना संक्रमण टेस्ट में क्या-क्या शामिल हैं: 

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स्वाब टेस्ट: इस टेस्ट में लैब एक कॉटन स्वाब से गले या नाक के अंदर से सैंपल लेकर टेस्ट करता है.

 नेजल एस्पिरेट: वायरस की जांच करने वाला लैब आपके नाक में एक सॉल्यूशन डालने के बाद सैंपल कलेक्ट कर उसकी जांच करता है. 
ट्रेशल एस्पिरेट: ब्रोंकोस्कोप नाम का एक पतला ट्यूब आपके फेफड़े में डालकर वहां से सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है. 

सप्टम टेस्ट: यह फेफड़े में जमा मैटेरियल या नाक से स्वाब के जरिये निकाले जाने वाले सैंपल का टेस्ट होता है. ब्लड टेस्ट इस तरह के सभी सैंपल को जुटाने के बाद कोरोना वायरस के हिसाब से इसका विश्लेषण किया जाता है. कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट के लिए इनका ब्लेंकेट टेस्ट किया जाता है.


ब्लड टेस्ट : इस तरह के सभी सैंपल को जुटाने के बाद कोरोना वायरस के हिसाब से इसका विश्लेषण किया जाता है. कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट के लिए इनका ब्लेंकेट टेस्ट किया जाता है.

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कोविड 19 के लक्षण में ये चीजें भी शामिल हैं: 

  1. बुखार 
  2. खांसी/कफ 
  3. सांस लेने में परेशानी 
  4. गला खराब होना 
  5. नाक बहना 

आपको इस बात का ध्यान रखने की भी जरूरत है कि अब तक कोरोना का कोई इलाज सामने नहीं आया है. देश में हालांकि फिलहाल मलेरिया बुखार के इलाज में काम आने वाली दवा से कोरोना से संक्रमित लोगों का इलाज किया जा रहा है.

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PCR टेस्ट क्या है?

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इसमें ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जो डीएनए की प्रतियां बनाता है. 'पोलीमर' उन एंजाइमों को कहा जाता है जो डीएनए की प्रतियां बनाते हैं. 'चेन रिएक्शन' में डीएनए के हिस्से तेजी से कॉपी किए जाते हैं- जैसे एक को दो में कॉपी किया जाता है, दो को चार में कॉपी किया जाता है और इसी तरह ये क्रम चलता रहता है. अमेरिकी जैव रसायन वैज्ञानिक कैरी मुलिस ने पीसीआर तकनीक का आविष्कार किया था. कैरी मुलिस को 1993 में रसायन विज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

SARS-COV-2 वायरस आरएनए का बना होता है इसलिए इसे डीएनए में बदलने की जरूरत पड़ती है. इसके लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. 'रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस' एंजाइम आरएनए को डीएनए में परिवर्तित करता है. इसके बाद डीएनए की प्रतियां बनाई और बढ़ाई जाती हैं

इन डीएनए को रंगबिरंगा बनाने वाला 'प्रोब' वायरस की मौजूदगी के बारे में बताता है. ये टेस्ट SARS-COV-2 को अन्य वायरस से भी अलग करता है.

PCR प्रक्रिया में कितना समय लगता है?

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ICMR वैज्ञानिक डॉक्टर आर आर गंगाखेड़कर का कहना है कि इस प्रकिया में पहले 6 घंटे का समय लगता था लेकिन रियल टाइम पीसीआर ने नमूनों का परीक्षण करने में लगने वाले समय को 4 घंटे तक कम कर दिया है

डॉक्टर गंगाखेड़कर ने कहा, 'हालांकि, कुल मिलाकर सैंपल लेने और रिपोर्ट देने तक में लगने वाला समय लगभग 24 घंटे है. कभी-कभी ये उससे कम भी हो सकता है.'

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भारत में ये टेस्ट कैसे किया जा रहा है?

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NIMHANS के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉक्टर वी रवी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि भारत में SARS-COV-2 का टेस्ट करने के लिए टू स्टेज रियल टाइम पीसीआर किया जा रहा है. पहले स्टेज में कोरोना वायरस के सामान्य आनुवंशिक तत्वों का पता लगाया जाता है, जो सैंपल में पाए जा सकते हैं.

दूसरे स्टेज में उन विशिष्ट जीन का परीक्षण किया जाता है जो सिर्फ SARS-COV-2 वायरस में मौजूद होते हैं.
डॉक्टर रवि ने बताया कि मार्च की शुरुआत तक किसी भी प्रकार के कोरोनो वायरस की जांच हर लैब में की जा रही थी लेकिन पुष्टि के लिए PCR केवल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा ही किया जा रहा था

डॉक्टर रवि ने बताया, 'NIV (National Institute of Virology) पुणे ने अब ये तकनीक सभी लैब को भेज दी है ताकि सैंपल की जांच के लिए पुणे जाने की जरूरत ना हो. इससे सैंपल की जांच में लगने वाले समय में भी कमी आई है.
भारत में रोजाना 10,000 सैंपल टेस्ट किए जा सकते हैं. देश भर में 52 केंद्रों पर कोरोना वायरस के टेस्ट किए जा रहे हैं




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